धन्वन्तरि जयंती
Friday, 28 October 2016
लोक-कल्याणार्थ एवं जरा आदि व्याधियों को नष्ट करने के लिए स्वयं भगवान विष्णु धन्वन्तरि के रूप में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रकट हुए थे, अतः आयुर्वेद-प्रेमी भगवान धन्वन्तरि के भक्तगण एवं आयुर्वेद के विद्वान हर वर्ष इसी दिन आरोग्य-देवता के रूप में उनकी जयंती मनाते हैं।
भगवान धन्वन्तरि का संपूर्ण पूजनादि कृत्य भगवान विष्णु के मंत्रों या पुरुष सूक्त से ही करना चाहिए। साथ ही विष्णु मंत्रों का जप एवं उनकी दिव्य कथाओं का श्रवण भी करना चाहिए। निम्नलिखित मंत्रों से भी पूजन कर जप व यज्ञ कार्य को पूर्ण करें। दिन व रात्रि में भगवन्ताम संकीर्तन भी करें।
भगवान धन्वंतरी की साधना के लिये एक साधारण मंत्र है:
ॐ धन्वंतरये नमः॥
इसके अलावा उनका एक और मंत्र भी है:
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणायत्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूपश्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
- अर्थात
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- परम भगवन को, जिन्हें सुदर्शन वासुदेव धन्वंतरी कहते हैं, जो अमृत कलश लिये हैं, सर्वभय नाशक हैं, सररोग नाश करते हैं, तीनों लोकों के स्वामी हैं और उनका निर्वाह करने वाले हैं; उन विष्णु स्वरूप धन्वंतरी को नमन है।